
जूनून -ए -आज़ादी सबके खून में नहीं होती ,
यू शहादत को पाने की आरजू सब नहीं होती !
गरम खून का दावा तो हर जवान करता है ,
उबला ला सके लाखो में वो गर्मी सब में नहीं होती !
आजाद -ए -हिंद की आज़ादी की लड़ाई तो याद होगी आपको ,
फिर भगत सिंह की सालगिरह क्यों याद नहीं रहती !
यु तो जशन-ए -आज़ादी कई बार मनाई है ,
क्या कभी किसी को शहीद-ए-आज़म की याद आइ है !
जब भी लगे इंक़लाब का नारा ये शहीद याद रखना
यू तो जाने वाले वापस नहीं आते ,
पर हर इंक़लाब में भगत सिंह को जिन्दा करना !!!!!
-आज़म खान
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