Tuesday, September 21, 2010

कश्मीर ऐसा क्यों हे !


कभी बर्फ को जलते हुए देखना हो तो इधर आजाना ,

कभी सफ़ेद पहाड़ो को सुर्ख होते देखना हो तो अजाना !

ये वादी -ए -कश्मीर हे जिसके चाहने वाले तो बहुत हे ,

लेकिन यहा कश्मीरियत को बचाने वाले गुम हे !

जवानी दीवानी होकर सडको पर पत्थरों से खेलती हे ,

दीवानी जवानी को सँभालने के लिए गोली बोलती हे !

सियासी हाकिम इस बीमार कश्मीर की नफ्ज टटोलते हे ,

लेकिन उन्हें कौन बताए , बीमार कश्मीर नहीं हुकूमत हे !

सब खोए खोए से हे कश्मिरिअत को लेकर ,

और रोई रोई सी हे आज वादी -इ -जन्नत !

उस माँ की आंख के अंशु सूखे भी न थे ,

की सियास्त्दारो ने बेटे के कफ़न से आज़ादी का झंडा बना लिया !

एक कफ़न तो तिरंगे झंडे वाला भी हे ,

लेकिन इसकी वजह दुश्मन की गोली नहीं हे !

सुलगती बर्फ पर स्याह होती जन्नत -ए - हिंदुस्तान देख आना ,

वक्त मिले तो कफ़न में लिपटे बेटे और माँ के आंशु भी पोछ आना !!!

- आज़म खान



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