Friday, March 23, 2012

शहीद-ए-आज़म यादों में भी नहीं रहे I



कुर्बानिओं के दौर अब नहीं रहे ,
कुर्बान होने वाले सरफ़रोश भी नहीं रहे I
फांसी के फंदे को चूमने वाले नहीं रहे, 
अहल-ए-वतन के दीवाने भी नहीं रहे I

मौत से नज़रे मिलाने वाले नहीं रहे, 
शहादत की दुआ मांगने वाले भी नहीं रहे I
ईमान की राह से गुज़रने वाले नहीं रहे, 
और जो गुज़रे थे उनके निशान भी नहीं रहे I

आज़ादी के हिस्सेदार है सब, हक़दार नहीं रहे ,
शहीदों के कफ़न और कब्र के सौदागर रह गए I
हम और तुम जज्बा-ए-वतन को ढूंढते रहे ,
और शहीद-ए-आज़म यादों में भी नहीं रह गए I
                          --आज़म खान  

No comments:

Post a Comment