Sunday, February 13, 2011

प्यार और पहरा



प्यार पर किसी का ज़ोर नहीं

लेकिन प्यार के ठेकेदार तो हैं

आशिकी का कोई वक्त तय नहीं

लेकिन प्यार 14 feb को ही होना है !

फिर प्यार वाले कबूतर

बागों में , theater में

Restorent में , pub में

लोगो की नजरो में

और कुछ news में होंगे

कुछ लम्बी सैर पे

फटफटिया पर चिपके होंगे

काले शीशे वाली कारों में

कुछ नहीं तो बस , train में

हाथो में हाथ लिए सड़को पर होंगे !


कबूतर जो आज़ादी से उड़ेंगे

तो ठेकेदारों को संस्कृति याद आएगी

उन्हें इनकी आज़ादी पसंद न आएगी

बाज़ार में तोड़ फोड़ हंगामा करेंगे

और cardwale अंकल की दुकान तोड़ेंगे !

कम से कम इस बार तो माफ़ करो

कबूतरों से कह दो खुले आम

आवारगी में चोंच्बाज़ी न करे

यूँ प्यार खुले आम न करे

शर्म वाली नजरो ,हदों में रहे

ठेकेदारों से कहदो तोड़ फोड़

करके लोकतंत्र में जंगल राज न करें !

लेकिन फिर भी

प्यार वजह इस जंग की होगी

और प्यार का जिक्र भी न होगा

हर बार ऐसा ही होता आया है

इस बार भी ऐसा ही होगा

-आज़म खान

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