
प्यार पर किसी का ज़ोर नहीं
लेकिन प्यार के ठेकेदार तो हैं
आशिकी का कोई वक्त तय नहीं
लेकिन प्यार 14 feb को ही होना है !
फिर प्यार वाले कबूतर
बागों में , theater में
Restorent में , pub में
लोगो की नजरो में
और कुछ news में होंगे
कुछ लम्बी सैर पे
फटफटिया पर चिपके होंगे
काले शीशे वाली कारों में
कुछ नहीं तो बस , train में
हाथो में हाथ लिए सड़को पर होंगे !
कबूतर जो आज़ादी से उड़ेंगे
तो ठेकेदारों को संस्कृति याद आएगी
उन्हें इनकी आज़ादी पसंद न आएगी
बाज़ार में तोड़ फोड़ हंगामा करेंगे
और cardwale अंकल की दुकान तोड़ेंगे !
कम से कम इस बार तो माफ़ करो
कबूतरों से कह दो खुले आम
आवारगी में चोंच्बाज़ी न करे
यूँ प्यार खुले आम न करे
शर्म वाली नजरो ,हदों में रहे
ठेकेदारों से कहदो तोड़ फोड़
करके लोकतंत्र में जंगल राज न करें !
लेकिन फिर भी
प्यार वजह इस जंग की होगी
और प्यार का जिक्र भी न होगा
हर बार ऐसा ही होता आया है
इस बार भी ऐसा ही होगा