
अब तो मैं और अप सिर्फ जागते है चाय और खबरों के साथ ,
जगे हो तो चलो पड़ोस के आंगन दो घर छोड़ने के बाद !!
एक लाश पड़ी है तिरंगे में आधी अधूरी कल के धमाके के बाद ,
वजह तो खबरों में मिली होगी ,शायद आंतकवाद या नक्सलवाद !!
मैं भूल जाऊंगा आप भूल जाएँगे गुजरते हुए वक्त के साथ ,
लेकिन अंधी माँ क्या करेगी टुकडो में बटी बेटे की लाश के साथ !!
कभी जो निकलो उस वीरान घर के आगे से एक अरसे के बाद ,
उसी गली में मिलेगी एक अंधी बूढी , पुराने सवाल के साथ ,
“कितने हुए थे उसके बेटे के टुकड़े उस धमाके के बाद ” ?
क्या जवाब देंगे पगली माँ को ,पढ़े लिखे रुसुक वाले है आप !
या निकल जाएँगे आगे नजरे चुराकर अपने मरे हुए जमीर के साथ ,
अब तो मैं और आप सिर्फ जागते है चाय और खबरों के साथ !!!!
- आज़म खान
मार्मिक!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और मार्मिक कविता|
ReplyDeleteभाव पूर्ण लेखन।शुभकामनाएं!
ReplyDeleteap sbhi ka sukriya
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें
इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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