Wednesday, October 6, 2010

अब तो जागे !!


अब तो मैं और अप सिर्फ जागते है चाय और खबरों के साथ ,

जगे हो तो चलो पड़ोस के आंगन दो घर छोड़ने के बाद !!

एक लाश पड़ी है तिरंगे में आधी अधूरी कल के धमाके के बाद ,

वजह तो खबरों में मिली होगी ,शायद आंतकवाद या नक्सलवाद !!

मैं भूल जाऊंगा आप भूल जाएँगे गुजरते हुए वक्त के साथ ,

लेकिन अंधी माँ क्या करेगी टुकडो में बटी बेटे की लाश के साथ !!

कभी जो निकलो उस वीरान घर के आगे से एक अरसे के बाद ,

उसी गली में मिलेगी एक अंधी बूढी , पुराने सवाल के साथ ,

“कितने हुए थे उसके बेटे के टुकड़े उस धमाके के बाद ” ?

क्या जवाब देंगे पगली माँ को ,पढ़े लिखे रुसुक वाले है आप !

या निकल जाएँगे आगे नजरे चुराकर अपने मरे हुए जमीर के साथ ,

अब तो मैं और आप सिर्फ जागते है चाय और खबरों के साथ !!!!

- आज़म खान

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता|

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  2. भाव पूर्ण लेखन।शुभकामनाएं!

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

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  4. इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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