Friday, June 15, 2012

बक-बक इंडिया !



फेसबुक, ट्विटर, याहू और न जाने क्या-क्या, फोन से बात-चीत या फिर मेसेज से चेटिंग, हर वक्त बक- बक. आखिर ये हो क्या रहा है इतनी सारी बाते आती कहा से हैं. इतनी मशरूफ जिन्दगी में वक्त कहाँ से मिलता है हर वक्त बक- बक करने के लिए . कहीं ये कोई नई बीमारी तो नहीं या फिर कोई नया टशन है. जो भी हो इससे अछूता कोई नहीं है. 
जरा सोचिये अगर इस संसार में लोग आपस में बात-चीत करना बंद कर दे तो क्या मंजर होगा. संसार गूंगा तो हो ही जाएगा और जब सुनने के लिए बाते नहीं होंगी तो बहरा भी हो जाएगा. फिर भगवान् को खुद ही पूछना पड़ेगा " इतना सन्नाटा क्यों है भाई. मतलब ये की बोलना तो बनता ही है. तो फिर बोलने में बुराई क्या है. लेकिन बोलने में सिर्फ बुराई ही ज्यादा है. घंटो फ़ोन पर लगे रहते हो किसी न किसी की बुराई ही तो करते हो. अनलिमिटेड पैक डलवाने के बाद बक-बक करने का पूरा लाइसेंस मिल जाता है.  फिर चाहे वो इन्टरनेट पैक हो या फिर फोन पैक. फेसबुक के आने के बाद से तो बक-बक करना और भी आसान हो गया है. जेब खर्च में से थोड़े से रुपये बचाने हैं और फिर फोन पर या लैपटॉप में हो जाओ शुरू, एक दम लापरवाह होकर. ओह ! माफ़ करिए बेपरवाह होकर . बेपरवाह सुनने में थोडा ज्यादा कूल लगता है. आज कल हम सब से बात करते हैं चाहे वो अपना हो या पराया, या कोई परदेसी. हम अब सब कुछ बाँटने लगे हैं. शायद सब ये मानने लगे हैं की सुख बाँटने से बढ़ता है और दुःख बाँटने से कम होता है. लेकिन सुख थोडा कम बंटता है और दुःख तो मुफ्त में ही मिल जाता है. बक-बक का हुनर तो सब के पास है. ये सुविधा सबको उपलब्ध है. अगर फेसबुक और फोन से परहेज करते है तो भी आप बक-बक कर सकते है. डाकू डकैती के लिए बदनाम हैं तो गाँव का चौपाल बकैती के लिए मशहूर है. ओहो ! आप फिर अपने आपको अलग-अलग सा मेहसूस करने लगे. अब आप तो शहरी बाबू हैं आपके यहाँ गाँव वाला चौपाल तो नहीं होगा. मगर हाँ ! वो विदेशी कोफ़ी शॉप और बर्गर-पीज़ा वाले रेस्टोरेंट तो होंगे ही, खाते जाइये और बक- बक करते जाइये.
इतनी बकैती के बाद जब आप थक कर घर पहुचते हैं तो माँ का कहना "खाना खा ले" कानो को चुभता होगा, बीवी प्यार से माइके जाने की बात कर दे तो दिमाग की नसे तन जाती होंगी. अगर आपके पड़ोस से मार पिटाई की आवाज सुनाई दे तो भी आप पड़ोसी से हाल खबर लेना नहीं चाहेंगे. वैसे क्या आप जानते हैं की आपके पड़ोस में रहता कौन है ? कैसे जानेगे, अब हम बक-बक ज्यादा करते हैं, सिर्फ बक-बक. एक दूसरे की परवाह कम करते हैं. हम शायद बेपरवाह हैं या फिर लापरवाह. चलिए कल से बक-बक संसार में भावनाओ के रंग भी भरते हैं. एक चाय की प्याली होगी और हमारी और आपकी बक-बक. अब इसकी उसकी बात मत करना. कुछ अपनी कहना और कुछ मेरी सुनना. तो फिर कल सुबह की चाय आपके साथ. पहले कहा जाता था तूने मेरा नमक खाया है अब कहा जाएगा तूने मेरी चाय पी है. अब बक-बक समाप्त.      

आज़म खान  

Thursday, June 14, 2012

ओ रे बुमनिया इ का किया तूने !






हमका का मालूम हतो की ओ हमारे साथ खेल रही है. हमतो दोस्त समझे रहे और ओ हमको चूतिया. बोली ! "हम आपके दोस्त है बहुत अच्छे वाले. आप बाकी लोगो पर ज्यादा ध्यान मत दिया करो कोई आपका भला नहीं चाहता है. हम आपका ख्याल रखेगे. इस शहर में अपने को अकेला मत समझिएगा. अब जरा कल की क्लास में क्या नोट्स दिए गए थे हमको देदो". हमारी कोपी भी ले गई और साथ में बिसवास भी. साला ऐसा लगा कितनी अच्छी लड़की है मोडर्न होते हुए भी इ बुमनिया दिल वाली है.
  ससुर दिल कहेका ! हम अन्धराने हते. ओ की हर बात पे हमारा सर नन्दी बैल की तरह हाँ में ही हिलता था. बोली इस से मत बोलो, उस से मत बोलो, ये मत पहनो ओ न पहनो, केतना ध्यान रखे है हमरा. ओ इतना ज्यादा नोटिस जो मिलने लगा था. हम तो कतई बौराई गए. एक पल के लिए हम तो ओको भी भूलने लगे जिसको हम जिन्दगी भर साथ निभाने का वादा किये रहे. साला सब मट्टी पलीत करने मे तुल गए. सब कुछ ओको पूछने लगे. आज सेव बनाए या नहीं, वो बोले, नहीं! सेव मत बनाओ सेक्सी लगते हो. बस फिर क्या था हम तो हवा में ही उड़ने लगते. आइना बोलता था सेव कर ले डाकू लग रहा है पर साला हमें तो सेस्की दिखने में आनंद आने लगा. हाथ पकड़ के बोलती "यु आर वैरी नाईस ! एक दम करीब आके, ऐसा जैसे फिल्मो में होता है वैसे ही आँखों में उतर के बोलती, योर इस्माइल इज सेक्सी" ! रूम पर आके हम घंटा भर सीशा देखते और समझने की कोशिश करते हमारे इस्माइल में सेस्की का है. और एक दिन तो हद ही हो गई साल सीढियों से उतरते हुए ओने....ओने हमारे होठो पे काट खाया....हमरा तो सब कुछ डोल गया और ओ बोली "यु किस वैरी जेंटली". हमको लगा इ सब तो लब वाला केस हुई रहा है, प्यार है. लेकिन हम तो किसी और से प्यार करते है फिर इ सब का है. सिर्फ सेक्स का भूख....छी छी छी ! इ लड़की ऐसी नहीं है और हम भी ऐसे नहीं है. हम अच्छे परिवार से है. इ सब ओ की तरफ से लब का सिग्नल है, सच्चा वाला प्यार है. हमार तो खोपड़ी इ उधेड़ बून में बस उलझने लगा. हमरा तो प्यार कोई और है फिर इ जो ये सब कर रही है... ओ सब का है.   
       परीक्षा की तलवार सर पर लटकने लगी. रात रात भर जाग जाग के नोट्स बनाए रहे. साला सुबह उठते तो आंखे तीर कमान भई  रहती. लेकिन ओ एक बार बोलती.... एक बार इस्माइल करोना, प्लीज़ !. हम बत्तीसी खोल देते. ओ बोलती सेक्सी लग रहे हो !  और ओके मुह से खुद को सेस्की सुनने में कसम से बड़ा मजा आता ! साला अन्दर बहर सब कुछ डोल जाता ! बदले में हमरे नोट्स ले जाती. हम इतने गिर गए थे की इ नोट्स हम अपने दोस्त लोगों को भी देने से मना कर देते पर ओको एक बार में ही दे देते . साला चुतियापंती की हद ! परीक्षा पूरी हो गई और ओका लब अड्वेंचर भी. अब न तो ओ हमार मेसेज का जवाब देती और फोन तो उठाती ही नहीं. बात होना बंद हो गया और हम सेस्की है या नहीं इ बात पे सक होने लगा. वास्तव में हम सेस्की नहीं चूतिया रहे. फिर से कॉलेज खुला तो ओ को दूसर की हेयर इस्टाइल सेस्की लगने लगी. अब सीसा देखते है तो बत्तीसी नहीं दिखाई देती और गलती से दिख भी जाए तो सेस्की नहीं लगती . हम सेस्की नहीं है हम जो है वही हैं. भैया ! अगर तेरा इस्माइल भी किसी को सेस्की लगता है, तो तू भी चूतिया बनने वाला है. वाह रे बुमनिया.