ज़रा बताओ मैं तुम्हारी जिन्दगी में कहाँ हूँ,
कोहरे से घिरी सुबह में,
सुबह की नरम धूप में,
खिड़की से उतरती रौशनी में,
दोपहरी में सुकून देती छांव में,
तेज़ बारिश में या रिमझिम में,
गहरी सोंच में या ख़्वाब में,
सांसों की खुसबू में या धडकनों में,
अँधेरी उजियारी रात में,
बादलों में छिपते तारों में,
चाँद की सुनहरी चांदनी में,
इजहार में या इकरार में,
एहमियत में या जरुरत में,
जरा बताओ मैं तुम्हारी जिन्दगी में कहाँ हूँ!!!
-आज़म खान
कोहरे से घिरी सुबह में,
सुबह की नरम धूप में,
खिड़की से उतरती रौशनी में,
दोपहरी में सुकून देती छांव में,
तेज़ बारिश में या रिमझिम में,
गहरी सोंच में या ख़्वाब में,
सांसों की खुसबू में या धडकनों में,
अँधेरी उजियारी रात में,
बादलों में छिपते तारों में,
चाँद की सुनहरी चांदनी में,
इजहार में या इकरार में,
एहमियत में या जरुरत में,
जरा बताओ मैं तुम्हारी जिन्दगी में कहाँ हूँ!!!
-आज़म खान