
साहब झंडा लेलो
यूँ तो कीमत न है इस झंडे की
लेकिन फिर भी एक रुपया देदो
झंडे बेच रहा हूँ देश को नहीं
मेरी पुकार आपको चुभती तो नहीं
अब इस पे भी Discount न मांगना
एक रुपया खर्चा है तो याद रखना
तिरंगा ख़रीदा है , सजावट नहीं ,
साहब Republic Day है दिवाली नहीं
तिरंगे को अगले दिन फेकना नहीं !
देशभक्ति एक दिन में ख़तम हो जाए
तो इसी सड़क से गुजरना
इसी सिग्नल पे मिलूँगा
तिरंगा लौटा देना
और अपना रुपया लेजाना
साहब सिग्नल ग्रीन हो गया !
साहब झंडा लेलो
यूँ तो कीमत न है इस झंडे की
लेकिन फिर भी एक रुपया देदो !
-आज़म खान