एक बचपन का जमाना था खुशियों का खजाना था
चाहत चाँद को पाने की दिल तितली का दीवाना था
खबर न थी सुबह की और नहीं शाम का ठिकाना था
थक कर आना स्कूल से और खेलने भी तो जाना था
दादी कहानियो में परियो का फ़साना था
बारिश में कागज की नाव थी हर मौसम सुहाना था
हर खेल में साथी थे हर रिश्ता निभाना था
गम की जुबान न होती थी न ही जख्मो का पैमाना था
रोने की वजह न थी न हसने का बहाना था
अब नहीं रही वो जिन्दगी वो बचपन का ज़माना था
Friday, December 24, 2010
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